तोतो चान मेरे द्वारा पढ़ी गई मनपसंद पुस्तकों में से एक है। कहानी एक छोटी सी बच्ची की है जिसे उसकी शरारतों के चलते स्कूल से निकाल दिया गया था और माँ ने उसका दाखिला एक नए स्कूल में करवाया। बच्ची का नाम था तेत्सुको कुरोयानागी और स्कूल का नाम तोमोए। मास्टरजी थे श्री कोबायाशी।
पुस्तक पढ़ते हुए ऐसा लग रहा था मानो जैसे सारी घटनाएं मेरी आँखों के सामने हो रही हों। स्कूल में पढ़ने पढ़ाने के तौर तरीके अलग थे। मास्टरजी का स्कूल और स्कूल का गेट भी अलग था। स्कूल चलता था रेलगाड़ी के पुराने डिब्बों में और गेट के स्थान पर दो पेड़। मास्टरजी का बच्चों को यह बोलने के बदले की संतुलित आहार लाये हो यह बोलना कि आधा समुद्र आधा पहाड़ से लाये हो और बच्चों का उत्साहित होकर अपने अपने खाने का डिब्बा दिखाना कितना मजेदार होता होगा। जो बच्चा किसी कारणवश आधा समुद्र से और आधा पहाड़ से नही लेकर आता था उसे स्वयं देते थे। तोत्तो चान की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनना, बच्चों को उनकी पसंद के हिसाब से विषय पढ़ने देना और यदि वे सही समय पर अपना कार्य पूरा कर लें तो बाहर घुमाने लेने जाना, ताल नृत्य, वार्षिक खेल दिवस का आयोजन और उसमें ऐसी प्रतियोगिताएं रखना कि विकलांग बच्चे भी उसमे भाग ले सकें, स्कूल में ही कैंपिंग करना, गरम पानी के सोते पर घुमाने लेने जाना, आदि कितनी गतिविधियाँ मास्टर जी करवाते थे।
तोत्तो चान एक प्यारी सी बच्ची जो शरारती परन्तु समझदार भी थी अपनी शरारतों से हंसाती रहती है। वह तोत्तो चान जो पुराने स्कूल में शरारतें अधिक करती थी यहाँ आकर समझदार बन गई। हालांकि शरारतें चलती रही। यहाँ मैं तोत्तो चान की माँ की भी बात करना चाहूँगी जिन्होंने तोत्तो चान को 18 वर्ष पूरे होने पर ही बताया कि उसे पुराने स्कूल से निकाल दिया गया था। कोई भी बच्चा वह स्कूल छोड़कर नही जाना चाहता था। जब द्वितीय विश्व युद्ध के समय आवश्यकता की सभी वस्तुओं के साथ खाने पीने के समान की कमी हो गई तो तोत्तो चान को वेंडिंग मशीन से टॉफ़ी भी मिलनी बंद हो गई। उसका प्यारा कुत्ता भी नही रहा।
बहुत ही दुःख होता है जब तोमोए पर बम गिरा दिया जाता है और मास्टरजी को पास ही के एक मंदिर में अपने परिवार सहित शरण लेनी पड़ती है। तब वे अपने बेटे से पूछते है कि अब कैसा स्कूल बनाएं। तोतो चान अपने परिवार के साथ वहां से दूर किसी और शहर में चली जाती है।
पुस्तक बाल मनोविज्ञान से भी संबंधित है और पठन पाठन के तौर तरीके भी बताती है। पुस्तक पढ़ने से यद्ध से होने वाले तमाम खतरे भी एक बच्चे की नज़र से बताएं हैं। अपने आप में यह एक पूर्ण पुस्तक है। मुझे बहुत बहुत पसंद है।
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